लोकआस्थाका महापर्व छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का त्योहार माना जाता है। लेकिन अब यह इन इलाकों की सीमाओं को तोड़ देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में भी पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल के एक बड़े इलाके में भी महापर्व छठ मनाया जाता रहा है। छठ पर्व के महत्व और लोगों की आस्था को देखते हुए नेपाल सरकार छठ पर्व पर डाक टिकट जारी कर चुकी है।
नेपाल सरकार ने 31 अक्टूबर 2009 को नेपाली मुद्रा में पांच रुपए के इस डाक टिकट को जारी किया था। इस डाक टिकट में तालाब या नदी किनारे पूरी आस्था के साथ शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य देती व्रती दिखती हैं। इसमें छठ पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामाग्री भी दिखती है। मशहूर डाक टिकट संग्रहकर्ता प्रदीप जैन के मुताबिक छठ पर जारी किया यह दुनिया का एकमात्र डाक टिकट है। अभी तक किसी दूसरे देश ने छठ पर कोई डाक टिकट नहीं जारी किया है।
देश की लगभग सभी नदियों के किनारे छठ पूजा होती है। बिहार-झारखंड के सभी तालाबों पर पूजा होती है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में भी अर्घ्यदान होता है।
बता दें कि भारत में डाक विभाग सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों की महत्ता को डाक टिकट के माध्यम से दर्शाता आया है, परंतु छठ जैसे महापर्व को लेकर भारतीय डाक विभाग उदासीन है।
अपने डाक टिकट संग्रह के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले प्रदीप जैन बताते हैं कि हमलोग लंबे समय से भारत सरकार से महापर्व छठ पर डाक टिकट जारी करने की मांग करते रहे हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण भारत के विभिन्न पर्व त्योहारों पर डाक टिकट जारी किए गए हैं लेकिन करोड़ों परिवार में मनाए जानेवाले इस महापर्व की भव्यता को भारतीय डाक ने भले ही महत्व न दिया हो परंतु वर्ष 2009 में नेपाल ने इसपर डाक टिकट जारी कर चुका है। वे बताते हैं कि अब तक सिर्फ बिहार डाक प्रमंडल ने 15 जनवरी 2000 को छठ पूजा पर एक विशेष आवरण निकाला था। बिहार के लोगों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द लोक आस्था के महापर्व छठ पर डाक टिकट जारी करे।