छठ पर्व का पहला दिन जिसे नहाय खाये के नाम से जाना जाता है ,उसकी शुरुआत चैत्र या कार्तिक महीने के चतुर्थी से होता है . इस दिन व्रती अपने नजदीक में स्थित गन्दा नदी , गंगा की सहायक नदी , या तालाब में जाकर स्नान करते है .व्रती इस दिन नाखनू वगैरह को अच्छी तरह काटकर, स्वच्छ जल से अच्छी तरह बालों को धोते हुए स्नान करते हैं. लौटते समय वो अपने साथ गंगाजल लेकर आते है जिसका उपयोग वे खाना बनाने में करते है . वे अपने घर के आस पास को साफ सुथरा रखते है .
व्रती इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते है . खाना में व्रती कद्दू की सब्जी ,मुंग चना दाल , चावल का उपयोग करते है .तली हुई पूरियाँ पराठे सब्जियाँ आदि वर्जित हैं. यह खाना कांसे या मिटटी के बर्तन में पकाया जाता है . खाना पकाने के लिए आम की लकड़ी और मिटटी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है .जब खाना बन जाता है तो सर्वप्रथम व्रती खाना खाते है उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य खाना खाते है .
Leave a Comment