पति तथा पुत्र की कुशलता के लिए स्त्री का छठी माता को विविध प्रकार के उपहार देने की प्रार्थना 

कलसुपवा चढ़इबो छठिय मइया , छठी मइया के सुहाग
खोरिया रउरी बाहरो , धन सम्पति हमरा के दी
अमरुधवे चढ़इबो छठिय मइया , छठी मइया के सुहाग

खोरिया रउरी बहारबी ,धन सम्पति दी
खोरिया रउरी बहारबी , पुतवा भीख दी

मुरई चढ़इबो छठिय मइया , छठी मइया के सुहाग
खोरिया रउरी बहारबी , भातार भीख दी

 

कोई स्त्री कह रही है – ऐ छठी माता , मै आपको खुश करने के लिए कलसुप चढ़ाउंगी . मै आपकी गली को  झाड़ू से साफ करुँगी . कृपा करके आप मुझे धन और सम्पति दीजिये

ऐ छठी माता , मै आपको अमरूद भेंट करुँगी . आपकी गली में झाड़ू दूंगी . मुझे आप धन सम्पति और पुत्र भीख में दीजिये

ऐ छठी माता मै आपको खुश करने के लिए मूली चढ़ाउंगी . आपकी गली में झाड़ू दूंगी . कृपया आप मेरे पति के स्वस्थ रहने की भिक्षा दीजिये .

इस लोकगीत में स्त्री का पुत्र और पति के स्वस्थ रहने की चिंता तथा उसके लिए छठी माता के सामने प्रार्थना अत्यंत मर्मस्पर्शी है

अर्थ

कलसुपवा = बांस की छोटी टोकरी

खोरिया = गली

बहारबी = बहारना , झाड़ू लगाना

पुतवा = पुत्र

अमरुधवे =अमरूद

भीख = भिक्षा

मुरई = मूली

भातार = पति

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